“बन बैठी है मान की मूर्ति सी, मुख खोलत बौले न नाहीं न हां ।”किसकी पंक्तिया है?“बन बैठी है मान की मूर्ति सी, मुख खोलत बौले न नाहीं न हां ।”किसकी पंक्तिया है?
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