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“बन बैठी है मान की मूर्ति सी, मुख खोलत बौले न नाहीं न हां ।”किसकी पंक्तिया है?
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ज्योति राजपूत
प्रश्न -"बन बैठी है मान की मूर्ति सी, मुख खोलत बौले न नाहीं न हां ।"किसकी पंक्तिया है?
उत्तर - प्रताप नारायण मिश्र
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