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“सुरा सुरभिमय बदन अरुण, वे नयन भरे आलस अनुराग़। कल कपोल था जहाँ बिछलता, कल्पवृक्ष का पीत पराग!! “कामायनी के किस सर्ग से संबधित है?
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ज्योति राजपूत
प्रश्न - "सुरा सुरभिमय बदन अरुण, वे नयन भरे आलस अनुराग़। कल कपोल था जहाँ बिछलता, कल्पवृक्ष का पीत पराग!! "कामायनी के किस सर्ग से संबधित है?
उत्तर - चिंता सर्ग
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