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“परमात्मा की छाया आत्मा में और आत्मा की छाया परमात्मा में पड़ने लगती है । यही छायावाद है ।” यह परिभाषा किस आलोचक की है ?
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ज्योति राजपूत
प्रश्न :-"परमात्मा की छाया आत्मा में और आत्मा की छाया परमात्मा में पड़ने लगती है । यही छायावाद है ।" यह परिभाषा किस आलोचक की है ?
उत्तर :- रामकुमार वर्मा
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