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“तू काव्य तू छलता है,पर हर छल में,तू और विशद अभ्यांतर अनूठा होता जाता है”!उपरोक्त पंक्ति के रचनाकार कौन हैं??
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ज्योति राजपूत
प्रश्न :- "तू काव्य तू छलता है,पर हर छल में,तू और विशद अभ्यांतर अनूठा होता जाता है"!उपरोक्त पंक्ति के रचनाकार कौन हैं??
उत्तर :- अज्ञेय
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