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“इनकी भाषा बहुत चलती, सरल और शब्दाडंबरमुक्त होती थी! शुद्ध ब्रजभाषा का जो चलतापन और सफाई इनकी और घनानंद की रचनाओं में है वह अन्यत्र दुर्लभ है! ” ये कथन किस आलोचक का किसके संदर्भ में है?
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ज्योति राजपूत
"इनकी भाषा बहुत चलती, सरल और शब्दाडंबरमुक्त होती थी! शुद्ध ब्रजभाषा का जो चलतापन और सफाई इनकी और घनानंद की रचनाओं में है वह अन्यत्र दुर्लभ है! " ये कथन किस आलोचक का किसके संदर्भ में है?
उत्तर - शुक्ल ने रसखान के लिए
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