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“रहीम का हृदय द्रविभूत होने के लिए, कल्पना की उड़ान की अपेक्षा नहीं रखता था ।वह संसार के सच्चे और प्रत्यक्ष व्यवहार मै ही द्रभिभूत होने के लिए पर्याप्त स्वरूप पा जाता है । ” कथन किसका है ?
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ज्योति राजपूत
प्रश्न - "रहीम का हृदय द्रविभूत होने के लिए, कल्पना की उड़ान की अपेक्षा नहीं रखता था ।वह संसार के सच्चे और प्रत्यक्ष व्यवहार मै ही द्रभिभूत होने के लिए पर्याप्त स्वरूप पा जाता है । " कथन किसका है ?
उत्तर - रामचंद्र शुक्ल
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