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“नाथ, सिद्ध,योगी अपनी रहस्यदर्शी शुष्क वाणी में जनता को उपदेश दे रहे थे। भक्ति प्रेम आदि हृदय के प्राकृतिक भागों में उनका कोई समस्या महत्व भक्ति भावना से ओतप्रोत साहित्य में इस अभाव की पूर्ति की । “यह कथन किसका है?
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ज्योति राजपूत
प्रश्न - "नाथ, सिद्ध,योगी अपनी रहस्यदर्शी शुष्क वाणी में जनता को उपदेश दे रहे थे। भक्ति प्रेम आदि हृदय के प्राकृतिक भागों में उनका कोई समस्या महत्व भक्ति भावना से ओतप्रोत साहित्य में इस अभाव की पूर्ति की । "यह कथन किसका है?
उत्तर - आचार्य रामचंद्र शुक्ल
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