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“तुम्हें गैरों से कब फुर्सत ,हम अपने ग़म से कब खाली, चलो बस हो चुका मिलना न हम खाली न तुम खाली। “उपरोक्त पंक्तियां किस निबंध से ली गई है?
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ज्योति राजपूत
प्रश्न :- "तुम्हें गैरों से कब फुर्सत ,हम अपने ग़म से कब खाली,चलो बस हो चुका मिलना न हम खाली न तुम खाली।"उपरोक्त पंक्तियां किस निबंध से ली गई है?
उत्तर :- भारतेंदु हरिश्चंद्र रचित "भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है।"
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